Saturday, 23 August 2008

निवेशकों को निगाह रखनी चाहिए: शेयर बाजार: 12,500 से 15,000 तक

बाजार के ऐसे कुछ अहम घटनाक्रम, जिन पर निवेशकों को निगाह रखनी चाहिए:
आईआईपी के आंकड़े जून, 2008 के लिए औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के आंकड़े पिछले सप्ताह घोषित किए गए। आईआईपी की 5।4 फीसदी की बढ़त दर जून, 2007 की 8.9 फीसदी वृद्धि दर की तुलना में काफी कम रही। हालांकि बाजार और विश्लेषकों को इस बढ़त दर में कमी आने की आशंका पहले से थी। आईआईपी के आंकड़ों के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 5.9 फीसदी की दर से बढ़ा जबकि कोर इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योग में 5.2 फीसदी का इजाफा देखा गया। कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल 12.2 फीसदी की दर से बढ़ा जिसमें मुख्यत: वस्त्र और खाद्य पदार्थ शामिल हैं। दूसरी ओर, कैपिटल गुड्स में पिछले साल दर्ज की गई 23.1 फीसदी की बढ़त दर इस बार घटकर 5.6 फीसदी रह गई। कैपिटल गुड्स सेक्टर, ऑटो पार्ट, टेलिकॉम उपकरण आदि से जुड़े उद्योगों की अगुवाई करता है और विश्लेषकों का मानना है कि पूंजीगत उत्पाद सेक्टर की बढ़त भविष्य में औद्योगिक विकास के लिहाज से काफी अहमियत रखती है। गैर-टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद की वृद्धि दर छोड़ दें तो दूसरे सेक्टर में मंदी के साफ संकेत देखने को मिल सकते हैं। कई विश्लेषकों ने इस साल के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर 8 फीसदी से कम रहने का अनुमान लगाना शुरू कर दिया है।
तेल में नरमी बीते 4-5 सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम लगातार गिर रहे हैं जिसकी वजह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में मंदी की आशंका है। साथ ही यह डर भी सता रहा है कि कच्चे तेल की मांग में कमी आ सकती है। जुलाई की शुरुआत में 148 डॉलर प्रति बैरल के अपने उच्चतम स्तर से कच्चा तेल करीब 25 फीसदी नीचे आ चुका है। हालांकि किसी भी शख्स ने कच्चे तेल के दामों की चाल को लेकर भविष्यवाणी नहीं की थी लेकिन कई विशेषज्ञों का मानना है कि छोटी अवधि में इसमें और गिरावट देखने को मिलेगी और यह करीब 100 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार करेगा। कच्चे तेल की कीमतों में नरमी आने से नुकसान उठा रही तेल कंपनियों को कुछ राहत मिलेगी। लेकिन इसका असर बहुत ज्यादा नहीं होगा क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से तय पेट्रोलियम उत्पादों के खुदरा मूल्य की तुलना में कच्चे तेल की कीमतें अब भी ज्यादा हैं। हालांकि तेल के दाम गिरना बाजारों के लिए बढि़या खबर है क्योंकि इससे बाजार के माहौल पर सकारात्मक असर होता है।
महंगाई दर महंगाई दर 12 फीसदी का स्तर पार कर चुकी है। विश्लेषकों का मानना है कि महंगाई दर इसलिए तेज दौड़ रही है क्योंकि साप्ताहिक बढ़ोतरी उसे मदद दे रही है। लेकिन बेस इफेक्ट के कारण छोटी से मध्यम अवधि में इसके दहाई में ही बने रहने की आशंका है। कच्चे तेल और दूसरी कमोडिटी की कीमतों में गिरावट से कुछ राहत जरूर मिली है। इससे मुदास्फीति दर में कुछ कमी आएगी, भले ही कीमतों में एकाएक गिरावट न आए।
बाजार की चाल पिछले तीन हफ्ते के दौरान बाजार 20 फीसदी की मजबूती के साथ 12,500 से लगभग 15,000 के स्तर तक पहुंचा है। पिछले सप्ताह किसी भी मजबूत नकारात्मक या सकारात्मक खबर के न होने से शेयर बाजारों में मजबूती देखने को मिली थी। आईआईपी के आंकड़ों ने बाजार में कुछ बिकवाली को हवा दी हालांकि यह बाजार की उम्मीदों के मुताबिक रहा और इससे स्टॉक माकेर्ट के मिजाज को नुकसान नहीं पहुंचा। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह रैली बाजार के मंदडि़यों की पकड़ में होने से जुड़ी है और बाजारों में कई नकारात्मक खबरों की वजह से मार्केट मौजूदा स्तरों से भी नीचे आ सकता है। कमजोर बुनियाद वाले शेयर रखने वाले निवेशक मौजूदा रैली को अपनी पोजिशन से बाहर निकलने का मौका बना सकते हैं। बढ़िया मुनाफे पर बैठे निवेशक मौजूदा स्तरों को मुनाफा वसूली में काम ला सकते हैं। -ET

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