मुंबईः बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज की अंदरूनी लड़ाई का इसके कारोबार पर भी असर पड़ने लगा है। इस झगड़े की वजह से बीएसई ने कमोडिटी बाजार में उतरने का इरादा फिलहाल छोड़ दिया है। बीएसई ने अहमदाबाद के नैशनल मल्टी-कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) में 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का अपना फैसला वापस ले लिया है। यह जानकारी इससे वाकिफ अधिकारियों ने दी। 26 फीसदी हिस्सेदारी के लिए बीएसई को 35 करोड़ रुपए देने थे। दोनों एक्सचेंजों के बीच इसे समझौते को पांच महीने गुजर गए हैं। इसके बाद भी इस पर अमल नहीं हो पाया है। एक अधिकारी ने बताया कि हिस्सेदारी खरीदने के इस फैसले को लेकर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के अंदर मतभेद थे। इसके चलते गैर-कार्यकारी चेयरमैन शेखर दत्ता, मैनेजिंग डायरेक्टर रजनीकांत पटेल और डायरेक्टर जमशेद गोदरेज ने अपने पदों से इस्तीफे दे दिए थे। बीएसई बोर्ड के एक सदस्य ने बताया कि कुछ कानूनी अड़चनों की वजह से करार अधर में लटका हुआ है। इस करार के लागू होने में देरी का बीएसई के मैनेजमेंट में चल रहे ताजा संकट से कोई लेना-देना नहीं है। दरअसल, कॉरपोरेटाइजेशन और डिम्यूचुअलाइजेशन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद से बीएसई का कामकाज कभी भी आसान नहीं रहा है। कॉरपोरेटाइजेशन और डिम्यूचुअलाइजेशन ने ब्रोकर शेयरहोल्डरों और रणनीतिक निवेशकों के बीच काफी चिंता पैदा कर रखी है। स्टॉक एक्सचेंज का मैनेजमेंट उनकी कई अहम चिंताओं का दूर करने में असफल रहा है। ये चिंताएं एफएंडओ सेगमेंट को लेकर हैं। इसका एक्सचेंज के कारोबार पर असर पड़ रहा है। बीएसई के प्रबंध निदेशक कैलाश गुप्ता ने एनएमसीई में 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का फैसला वापस लेने की खबर की पुष्टि की, लेकिन उन्होंने इस की वजह बताने से इनकार कर दिया। रिलायंस मनी ने पिछले महीने एनएमसीई में 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी। यह अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप की सिक्योरिटी ब्रोकरेज और डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी है। गुप्ता ने कहा कि अगर बीएसई और एनएमसीई के बीच करार रद्द होता है, तो रिलायंस मनी एनएमसीई में 26 फीसदी हिस्सेदारी खरीद सकती है। इसके लिए इसे कुछ जरूरी कानूनी मंजूरियां हासिल करनी होंगी। उन्होंने कहा कि एनएमसीई में शेयरहोल्डिंग के पैटर्न को लेकर दूसरे शेयरहोल्डरों से बातचीत की जा रही है। -ET
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