Sunday, 17 August 2008
2 लाख करोड़ का होगा बीमा सेक्टर
नई दिल्लीः निजी बीमा कंपनियों की आक्रामक मार्केटिंग की बदौलत साल 2010 तक भारत का बीमा क्षेत्र दो लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। वाणिज्य एवं उद्योग चैम्बर एसोचैम की रिपोर्ट 'इंश्योरेंस सेक्टर फ्यूचरिस्टिक ग्रोथ' में यह अनुमान लगाया गया है। फिलहाल देश में बीमा कारोबार करीब 50,000 करोड़ रुपए का है। एसोचैम का कहना है कि इस दौरान सरकारी बीमा कंपनियों के कारोबार में 35 से 40 फीसदी की दर से बढ़त होगी, जबकि निजी कंपनियां आक्रामक मार्केटिंग की बदौलत कारोबार में 140 फीसदी की बढ़ोतरी करने में सक्षम रहेंगी। एसोचैम के अध्यक्ष सज्जन जिंदल ने कहा कि निजी कंपनियों के आक्रामक कारोबार से बीमा क्षेत्र में जीआईसी, एलआईसी जैसी सरकारी कंपनियों का हिस्सा पिछले 5 साल में 97 फीसदी से घटकर 70 फीसदी रह गया है। सरकारी कंपनियों के पास अपने ग्राहकों को देने के लिए पॉलिसी उत्पादों की संख्या सीमित है, जबकि निजी कंपनियों बहुत तरह के उत्पाद लेकर आई हैं और सरकारी कंपनियों की तुलना में उनकी परिपक्वता अवधि भी ज्यादा प्रतिस्पधीर् है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक सरकारी स्वामित्व वाली बीमा कंपनियों का एकाधिकार है, लेकिन अब निजी क्षेत्र की कंपनियों ने भी ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच बनाने के लिए हाथ-पांव मारना शुरू कर दिया है। एसोचैम का सुझाव है कि बीमा कंपनियों को उन क्षेत्रों में अपनी पहुंच तेज करने का प्रयास करना चाहिए, जहां अभी तक वे नहीं पहुंच पाई हैं। बीमा कंपनियों का ज्यादातर ध्यान मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर पर रहता है, लेकिन अब उन्हें सेवा क्षेत्र पर भी ध्यान देना चाहिए जिसकी जीडीपी में हिस्सेदारी बढ़ती जा रही है। इसमें बीमा कंपनियों के कारोबार विस्तार की बहुत ज्यादा गुंजाइश है। चैम्बर का कहना है कि भारतीय बीमा कारोबार में निजी कंपनियों पर अभी कई तरह के प्रतिबंध हैं, इसके बावजूद निजी कंपनियों की प्रति ग्राहक से औसत रिटर्न करीब 35 फीसदी है। निजी क्षेत्र की कंपनियों प्रति ग्राहक से औसतन 20 फीसदी का ही रिटर्न हासिल कर पा रही हैं। एसोचैम का दावा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी निजी क्षेत्र की कंपनियां अपने अनूठे उत्पादों की वजह से हावी हो जाएंगी। संगठन के अनुसार भारत में जीवन बीमा प्रीमियम जीडीपी का सिर्फ 1.8 फीसदी है, जबकि अमेरिका में 5.2 फीसदी, ब्रिटेन में 6.5 फीसदी और दक्षिण कोरिया में 8 फीसदी तक है।-ET
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