Wednesday 27 August, 2008

घट रहा है ऑफलाइन ट्रेडिंग का आकर्षण

मुंबई: इस साल जनवरी में शेयर बाजार में आई भारी गिरावट के बाद शेयर ब्रोकर नियमों के पालन को लेकर अधिक सजग हो गए हैं। इसके चलते ऑन लाइन ट्रेडिंग और ऑफलाइन ट्रेडिंग के बीच का अंतर घटा है। देर से ही सही लेकिन निवेशकों को यह लगने लगा है कि शेयरों में निवेश करने के लिए नियमों के पालन के सिवाय दूसरा कोई चारा नहीं है। ऐसे में ऑफलाइन ट्रेडिंग का आकर्षण कम हुआ है। 2001 में एचडीएफसी सिक्योरिटीज और आईसीआईसीआई डायरेक्ट ने ऑनलाइन ट्रेडिंग सेवाएं शुरू की थी। शुरुआत में निवेशकों ने कई कारणों से इसमें ज्यादा रुचि नहीं दिखाई थी। निवेशकों को ऑफलाइन ट्रेडिंग से कई फायदे मिल रहे थे। उन्हें शेयर खरीदारी का आर्डर देने से पहले ब्रोकर के पास पैसे जमा कराने की जरूरत नहीं थी। शेयर खरीदने के लिए सिर्फ ब्रोकर को फोन करने की जरूरत थी। यदि निवेशक ब्रोकर का पुरा ग्राहक है तो भुगतान भी जल्द करने का दबाव नहीं था। कई बार ब्रोकर के पास पैसे परिवार के अन्य सदस्यों के खातों से पहुंच जाते थे। ग्राहक की तरफ से उसके पिता चेक पर साइन कर सकते थे और ग्राहक चाहे तो जेड श्रेणी के शेयरों में भी खरीदारी कर सकता था। ऑनलाइन ट्रेडिंग में यह लचीलापन खत्म हो गया। शेयरों की खरीद का आर्डर देने से पहले ट्रेडिंग खाते में रकम होना जरूरी है। दूसरे खातों से रकम लेने-देने की कोई गुंजाइश नहीं है। इसके अलावा ऑनलाइन ट्रेडिंग में संदेहास्पद या जेड श्रेणी के शेयरों में ट्रेडिंग करने का कोई रास्ता नहीं है। ऑनलाइन ट्रेडिंग में नियमों के अधिक पालन के चलते ही कई निवेशकों ने ट्रेडिंग के ऑफलाइन तरीके को जारी रखा। इसके चलते ऑनलाइन ब्रोंकिंग कंपनियों के ग्राहकों में कमी भी दर्ज की गई। -ET

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