Wednesday 27 August, 2008

गिरते बाजार में बढ़ाएं सधे हुए कदम

जो निवेशक निकट भविष्य में सेंसेक्स के 16,000 का आंकड़ा छूने की उम्मीद कर रहे थे, उन्हें पिछले सप्ताह बाजार की चाल देखकर झटका लगा है। मुद्रास्फीति की दर का बढ़ना अभी भी जारी है और ऐसे में शेयर बाजार के लिए बहुत अच्छे समाचार मिलने की उम्मीद नहीं है। गुरुवार को सेंसेक्स में 400 अंक से अधिक की गिरावट आई थी। इससे एक बार फिर नियमित अंतराल पर बाजार के गिरने की आशंकाएं तेज हो गई हैं और आम सोच यही उभर रही है कि निकट भविष्य में बाजार में मंदी का दौर जारी रहेगा। बाजार में गिरावट के रुख में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली ऊंची मुद्रास्फीति और इसके नतीजे में ऊंची ब्याज दर जैसे कारण अब भी बरकरार हैं। इसके साथ ही पिछले सप्ताह कच्चे तेल के दामों में आई तेजी से भी बाजार को झटका दिया। तेल के दामों में आई मामूली तेजी ने मंदड़ियों को उत्साहित किया है और बाजार में उनकी सक्रियता बढ़ गई है। कारोबारी भी कम अवधि के सौदों में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। इसे देखते हुए भी आगामी दिनों में शेयरों के दामों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं की जा सकती। अगर बाजार में कुछ तेजी आती भी है तो उसका कारण शॉर्ट कवरिंग होगी। ऐसे समय में लंबी अवधि के निवेशकों के लिए एक अच्छा समाचार यह है कि बाजार में सुधार के कुछ संकेत नजर आ रहे हैं और वर्तमान मंदी में अधिकतर बुरे कारकों को समाहित कर लिया गया है। विदेशी वित्तीय संस्थाएं इस समय बिकवाली में ज्यादा रुचि ले रही हैं। इनकी बिकवाली में कमी आने पर स्थानीय निवेशक बाजार में बड़े निवेश की ओर ध्यान देंगे। बीमा कंपनियां और म्यूचुअल फंड जैसे घरेलू संस्थागत निवेशकों के पास इस समय बड़ी मात्रा में धन मौजूद है और ये अभी निवेश करने के बजाय प्रतीक्षा करो और देखो की रणनीति अपना रहे हैं। छोटे निवेशकों के लिए भी यही रणनीति काम करेगी। बाजार के जानकारों की सलाह है कि जो निवेशक 2 वर्ष से अधिक की अवधि के लिए धन लगाना चाहते हैं, उन्हें मौजूदा वर्ष के दौरान इक्विटी में कम रकम लगानी चाहिए। ऐसे निवेशकों के लिए व्यवस्थित (सिस्टमेटिक) निवेश एक बेहतर विकल्प होगा। सीधे शेयर खरीदने की स्थिति में नियमित अंतराल पर खरीदारी करना सही रणनीति होगी। अब प्रश्न यह उठता है कि खरीदारी के अवसर की कैसे पहचान की जाए। बाजार में कमजोरी दो तरह की हो सकती है। पिछली कुछ तिमाहियों के चलन को आगे बढ़ाते हुए बिकवाली के दबाव में आकर बाजार एक सत्र में ही 300-400 अंक गिर सकता है। ऐसे दिनों में कुछ शेयरों में काफी मंदी देखी जाती है और आप इस गिरावट का फायदा बड़ी और अच्छी संभावना वाली मझोली कंपनियों के शेयरों की खरीद के लिए कर सकते हैं। ऐसे दौर में खरीदारी करना ज्यादा आसान होता है। आप खरीदारी के लिए एक रेंज तय कर सकते हैं। उदाहरण के लिए यह रेंज सेंसेक्स के 14,000-14,200 या 13,500-13,800 अंक की हो सकती है। ऐसे दौर में अपनी पसंद के शेयरों पर निगाह रखना बहुत जरूरी होता है। कई बार ऐसे मामले भी देखे गए हैं जहां बाजार में मंदी के बावजूद कुछ विशेष शेयर अपने स्तर पर बरकरार रहते हैं और दबाव में नहीं आते। निवेशकों के -ETलिए दूसरा विकल्प अपने पोर्टफोलियो का एक भाग म्यूचुअल फंडों के लिए आवंटित करने का भी है। म्यूचुअल फंड आपको शेयरों की अधिक संख्या में निवेश का मौका देते हैं जो ऐसी स्थिति में बेहतर रहता है। म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए आप व्यवस्थित निवेश योजना यानी सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) का सहारा भी ले सकते हैं।

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