Friday 19 September, 2008

भारतीय बासमती का निर्यात घटने की आशंका

नई दिल्ली : भारतीय बासमती पर निर्यात कर लगने की वजह से इसे दूसरे देशों में बेचना महंगा पड़ रहा है। भारतीय बासमती को विदेशी बाजारों में पाकिस्तानी चावल से कड़ी टक्कर मिल रही है। इन हालात में भारतीय बासमती का निर्यात घटने की आशंका बढ़ गई है। भारत के सबसे बड़े बासमती चावल निर्यातक टिल्डा राइसलैंड के डायरेक्टर आर एस शेषाद्री ने बताया, 'दोनों देशों के प्रीमियम चावल की कीमतों में करीब 500 डॉलर प्रति टन का फर्क आ गया है। जब निर्यात बाजार में चावल की कीमतों में 500 डॉलर प्रति टन का अंतर हो तो कोई विदेशी खरीदार भारतीय चावल क्यों खरीदेगा। दोनों देशों के चावल की कीमतों में यह अंतर पिछले दो महीनों से है।' शेषाद्री ने कहा कि आमतौर पर नई फसल के बाद अक्टूबर में नए निर्यात कॉन्ट्रैक्ट होते हैं। मध्य पूर्व देशों को निर्यात होने वाले भारतीय बासमती चावल की औसतन कीमत 1400 डॉलर प्रति टन है। सरकार ने इस साल की शुरुआत में सुगंधित बासमती चावल के निर्यात पर करीब 200 डॉलर प्रति टन का टैक्स लगा दिया था।प्रीमियम किस्म के चावल का निर्यात मूल्य 1200 डॉलर प्रति टन है। शेषाद्री ने बताया, '200 डॉलर का निर्यात कर का फायदा न तो किसानों को मिलता है और न ही व्यापारियों को।' नई फसल एक से दो महीने के भीतर आने वाली है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर या नवंबर में भारतीय निर्यातकों को जब नुकसान होने लगेगा और कॉन्टैक्ट हासिल नहीं होंगे, तब सरकार निर्यात कर को वापस लेने के लिए मजबूर होगी। शेषाद्री ने बताया, 'सरकार के कदम उठाने तक तो ज्यादातर किसान अपनी उपज का बड़ा हिस्सा सस्ती दरों पर बेच चुके होंगे। निजी खरीदार करों के बोझ से बचने के लिए किसानों से सस्ती दरों पर फसल खरीदेंगे।'_ET

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