नई दिल्ली : बढ़ती ब्याज दरों के बावजूद कुछ बैंक आम आदमी को राहत देने का प्रयास कर रहे हैं। रीपो रेट और कैश रिज़र्व रेश्यो (सीआरआर) में बढ़ोतरी के बाद ज़्यादातर बैंक बेशक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं, मगर कुछ बैंक 30 लाख रुपये तक के होम लोन पर ब्याज दरें नहीं बढ़ा रहे हैं। बैंक ऑफ बड़ौदा (बॉब) ने शनिवार को प्राइम लेंडिंग रेट (पीएलआर) बढ़ाया, मगर पुराने लोन धारकों और 30 लाख रुपये तक नए होम लोन लेने वालों को इससे दूर रखा, जबकि बॉब ने पीएलआर में 0.75 परसेंट की बढ़ोतरी की है। बैंक के जीएम (रिटेल) नंदन श्रीवास्तव के अनुसार हमारी कोशिश है कि घर का सपना देखने वालों पर ज़्यादा भार न डाला जाए। वैसे, बैंकों को क्रेडिट और जमा पूंजी के बीच संतुलन बिठाने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। पूर्व वित्त सचिव एस. नारायणन का कहना है कि रिज़र्व बैंक ने सीआरआर और रीपो रेट बढ़ा दिया है, मगर उसने इशारा भी कर दिया है कि बैंक लोगों पर ब्याज दर का ज़्यादा बोझ न डालें। बैंक भी ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं, मगर ऐहतियाती कदमों के साथ। वे आम ग्राहकों को कुछ राहत भी दे रहे हैं। इससे पहले केनरा बैंक और देना बैंक ने पीएलआर बढ़ाया था, मगर दोनों ने पुराने लोन धारकों को इस बढ़ोतरी से दूर रखा था। 30 लाख रुपये तक होम लोन पर भी ब्याज दरें नहीं बढ़ाई थी। इंडियन बैंक के चेयरमैन सुंदर राजन का कहना है कि बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं, मगर आम आदमी को इससे दूर रख रहे हैं। इससे आम आदमी के साथ बैंकों को भी फायदा है। उनके क्रेडिट कारोबार में तेज़ी बरकरार रहेगी। क्या है वजह बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक ऐसा आरबीआई के इशारे पर कर रहे हैं। आरबीआई ने मार्च-2008 के अंत में नए साल की क्रेडिट पॉलिसी की घोषणा करते हुए दो अहम कदम उठाए थे। उसने सस्ते होम लोन की सीमा बढ़ते हुए इसे 30 लाख रुपये कर दिया था। रिज़र्व बैंक ने बैंकों से यह भी कहा था कि जब वे ब्याज दर कम करते समय पुराने लोन धारकों को इसका लाभ नहीं देते तो ब्याज दरें बढ़ाते समय उन पर अतिरिक्त भार क्यों डाल देते हैं।
(ET Hindi)
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