मुंबई : नैशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई इसी महीने विदेशी मुद्रा में वायदा कारोबार शुरू करने जा रहा है। इस कारोबार में हिस्सेदारी करने वालों के लिए पहले से कुछ बातों की जानकारी हासिल कर लेना अच्छा रहेगा। करंसी फ्यूचर में ओवरनाइट जोखिम होगा क्योंकि कमोडिटी फ्यूचर के उलट इसमें ट्रेडिंग देर शाम तक नहीं चलेगी। इससे ट्रेडरों को अमेरिकी बाजार खुलने के बाद सौदा बदलने का मौका नहीं मिलेगा। इसके अलावा विदेशी मुद्रा में वायदा कारोबार से होने वाले नफा-नुकसान पर कर के पहलुओं के बारे में स्पष्टता नहीं है। इस महीने की 29 तारीख को शुरू होने वाले इस कारोबार में हर सौदा कम से कम 1,000 डॉलर और टिक साइज 0.25 पैसा होगा। इसका मतलब 1,000 डॉलर के सौदे में 0.25 पैसे से कम का उतार चढ़ाव दर्ज मान्य नहीं होगा। पहले दिन की आरंभिक माजिर्न 1.75 फीसदी होगी और कारोबारी उतार-चढ़ाव के हिसाब से इसमें बदलाव होगा। मार्जिन में परिवर्तन शेयरों के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस और कमोडिटी मार्केट पर लागू नियमों के हिसाब से होगा। इसमें 2.5 डॉलर से ज्यादा का सौदा नहीं किया जा सकता। फॉरेक्स डीलरों के हिसाब से रुपए और डॉलर की कीमतों में बदलाव दांव लगाने वाले और कम समय के सौदे करने वाले ट्रेडर ओवरनाइट रिस्क से बच नहीं सकते। इन डीलरों को लगता है कि विदेशी मुद्रा का वायदा बाजार छोटे ट्रेडरों के मनमाफिक होगा क्योंकि इसमें सौदों का निपटान नकद होगा। ब्रोकरों की राय में बड़ी पूंजी वाले ट्रेडर स्थानीय एक्सचेंज ट्रेडेड करंसी फ्यूचर्स से परहेज कर सकते हैं। कारोबार में विदेशी निवेशकों की भागीदारी न होने की वजह से ऐसी स्थिति बन सकती है। ये निवेशक आमतौर पर सिंगापुर के नॉन डिलिवरेबल फॉरवर्ड (एनडीएफ) बाजार में रुपयों का वायदा सौदा करते हैं। एक बैंक के फॉरेक्स डीलर ने कहा, 'बड़ी कंपनियां विदेशी मुद्रा के वायदा कारोबार के लिए ओटीसी बाजार का ही रुख करेंगी। इसलिए विदेशी मुद्रा के घरेलू वायदा बाजार में कम कामयाब निर्यातक और सटोरिए ही सक्रिय होंगे। इसका यह मतलब कतई नहीं कि कारोबार बहुत कम रहेगा।'-ET
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