नई दिल्ली August 13, 2008
सरकारा द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों से महंगी दरों पर बल्क डिपॉजिट्स लेने से परहेज करने को कहे जाने के बावजूद 12 बैंकों ने मई और जुलाई के बीच सरकारी संस्थानों से इस तरह का करीब 26,000 करोड रुपये का डिपॉजिट जुटा लिया है।
इन बैंकों ने यह डिपॉजिट खुदरा निवेशकों को दिए जानेवाले कार्ड रेट से 1 से 4 प्रतिशत ज्यादा तक का ब्याज देकर यह डिपॉजिट जुटाया है। हाल के कुछ सप्प्ताहों में बैंक ने अपनी ब्याज दरों में इजाफा किया कि जिससे उनके इंटरेस्ट मार्जिन पर भारी दबाव पड़ रहा है। जबकि सरकार ने इन बैंकों से कम लागत वाले सीएएसए या करेंट एकाउंट और सेविंग एकाउंट वाले ज्यादा से ज्यादा डिपॉजिट जुटाने को कहा है। लेकिन इन बैंकों ने बल्क डिपॉजिट लेकर खुद ही अपना मार्जिन कम करने का इंतजाम किया है।बुधवार को बैंकों के प्रमुखों के साथ हुई वित्तमंत्री की बैठक के एजेंडे में भी इस बात का जिक्र था कि महंगी दरों पर डिपॉजिट ले लेने की वजह से बैंक अपने पीएलआर में कोई कमी नहीं कर पा रहे हैं। वित्त मंत्रालय की इस चिंता पर इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने कहा है कि बैंकों ने इस बारे में पूरी सावधानी बरती है कि उनकी शाखाएं बल्क डिपॉजिट के लिए बिडिंग से दूर रहें।एसोसिएशन ने यह भी कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए सेंट्रल पब्लिक सेक्टर इंटरप्राइजेज (सीपीएसई) से डिपॉजिट जुटाना जरूरी हो जाता है, इसके अलावा कभी कभी डिपॉजिट और क्रेडिट का अनुपात गड़बड़ा जाने से भी ऐसे कदम उठाने पड़ते हैं। एसोसिएशन चाहती है कि सीपीएसई व्यावसायिक बैंकों से बोली लगाने की प्रक्रिया को आमंत्रित करना जारी रखे और सरकार को सीपीएसई को अपने दिशा-निर्देशों पर काम करने केलिए दोबारा कहे। वित्तीय संस्थान जैसे इंडिया इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनेंस कंपनी और सिडबी जिनकी कि पहुंच सीएएसए फंड तक नहीं है, इनके लिए आईबीए ने विशेष डिस्पेंसेशन की मांग की है। -BS
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